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भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन

Bhojpuri Geet Gawai and Gamat

भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन

रविवार, 19 जुलाई 2020

Remarks by High Commissioner Tanmaya Lal

माननीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर मंत्री श्री अविनाश तीलक जी,

माननीय PPS श्री अंजीव रामधनी जी,

​भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन की अध्यक्षा डॉ. सरिता बूधू जी,

यहाँ उपस्थित सभी गणमान्य अतिथि,

भाइयों और बहिनों,

आप सभी को मेरा नमस्कार ।

आपकी अनुमति से मैं हिंदी में कुछ विचार रखना चाहता हूँ |

सबसे पहले मैं आज के कार्यक्रम के आयोजकों के प्रति आभार प्रकट करना चाहता हूँ जिन्होंने मुझे आज यहाँ आने का मौका दिया ।

यहाँ आप सब के बीच आकर मुझे बेहद ख़ुशी है ।

मैं स्वर्गीय महान कलाकार श्री सोना नोयान जी को श्रद्धांजलि देना चाहता हूँ ।

मैं उन सभी गायक गायिकाओं और कलाकारों कि प्रशंसा करना चाहता हूँ जिन्होंने आज यहाँ गीत गवई और गमट शैलियों के प्रदर्शन से यह सुन्दर समां बाँध दिया है ।

जिस उत्साह से सारे दर्शक और श्रोता लोगों ने इन कलाकारों का स्वागत किया है वह दिखाता है कि ये दोनों गीत शैलियाँ कितनी popular हैं ।

भोजपुरी भाषा और बोली सुनने में बहुत मधुर होती है | इसलिए उसमें गाये गए गीत और भी मधुर और मनमोहक होते हैं |

मुझे मॉरिशस आये हुए डेढ़ साल हो चुका है । मैं अपने तीस वर्षों के कार्यकाल में अनेक देशों में रहा हूँ और इस दौरान मुझे लगभग चालीस देशों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ है | लेकिन जो आत्मीयता मॉरिशस और भारत के बीच महसूस होती है वो अपने आप में बिलकुल अलग है ।

इस अपनेपन के रिश्ते को शब्दों में कह पाना मुश्किल है । हमारे लोगों के बीच आज भी जितने गहरे पारम्परिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक सम्बन्ध हैं, वे शायद ही और किन्हीं दो देशों में पाए जाते होंगे ।

अभी दो दिन पहले ही मुझे आप्रवासी घाट पर एक समारोह में सम्मिलित होने का सौभाग्य मिला | मैंने उस अवसर पर बताया था कि वहाँ की सीढ़ियाँ चढ़ना मेरे लिए कितना भावुक अनुभव रहा है | आप्रवासी घाट हमारे देशों और लोगों के बीच अटूट संबंधों का एक प्रतीक है |

आप्रवासी घाट - वहाँ पर उतरे सैकड़ों हज़ारों लोग की, जो भारत से एक विशाल समुद्र हिन्द महासागर का रास्ता तय कर के यहाँ आये, उनकी यादों, परंपराओं, भाषाओँ, संस्कृतियों, कहानियों, गीतों, सपनों, कल्पनाओं, आशाओं, आशंकाओं, उम्मीदों और उनके अपने और उनकी संतानों के भविष्य का प्रतीक है |

वहां उतरे अधिकांश लोग भोजपुरी संस्कृति से जुड़े थे | वे एक ऐसे समय में यहाँ आये थे जो आज के समय से बिल्कुल अलग था | तब इतनी लम्बी यात्रा बहुत कठिन थी | वापस जाना या पीछे छूटे परिजनों से पत्राचार करना बिल्कुल मुश्किल था |

इन लगभग डेढ़ सौ दो सौ सालों के अंतराल के बाद भी आज मॉरिशस में भोजपुरी भाषा, उसके लोक गीत, रीति रिवाज़ और अन्य परम्पराओं का प्रयोग जारी है |

मुझे मॉरिशस में दो तीन बार शादी और हल्दी समारोहों में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है, जहाँ भोजपुरी गीत गवई का आयोजन था | कुछ अन्य कार्यक्रमों में भी मुझे गीत गवई और नृत्य देखने और सुनने का मौका मिला |

यह सभी आयोजन बहुत सुन्दर थे I साथ ही वे एक लम्बी परंपरा की याद दिलाते हैं I

शादी ब्याह या जन्म जैसे अवसरों पर गाये जाने वाले गीत – चाहे वो महिलाओं द्वारा या पुरुषों द्वारा गाये जाने की परंपरा से हों – इन अवसरों की पहचान होते हैं |

ज़माने के बदलने और नए नए प्रभावों के आने के बाद भी कुछ ऐसे रीति रिवाज़ और प्रथाएँ हैं जो कुछ बदलते तो हैं पर उनका मूल रूप और लोगों का उनके प्रति लगाव मिटता नहीं है |

गीत गवई और गमट जैसी शैलियों की लोकप्रियता उनके बोल, गीतों का अर्थ, उनकी लय, ताल, कलाकारों का स्टाइल, उनकी जुगलबंदी में पाए जाने वाली रचनात्मकता, क्रिएटिविटी, इनोवेशन, और हाज़िरजवाबी, सबका अपना महत्व है |

यह जुगलबंदी स्टाइल या महिलाओं और पुरुषों द्वारा ख़ास मौकों पर गीत गाने की परंपरा कई जगहों में और अन्य भाषाओँ में भी मिलती है |

श्री तुलसीदास द्वारा लिखी गयी रामचरितमानस में शिव विवाह और राम विवाह के वर्णन में भी इस प्रकार के व्यंग्य और मज़ाक के प्रसंग हैं I

शिव विवाह : (बाराती भोजन के लिए बैठते हैं, तब)

नारिबृंद सब जेवँत जानी

लगीं देन गाबत मृदु बानी

गारी मधुर स्वर देहिं

सुंदरि बिंग्य बचन सुनावहिं

भोजनु करहिं सुर अति बिलंब

बिनोद सुनि सुख पावहिं

श्री राम विवाह :

जेवँत देहिं मधुर धुनि गारी

लै लै नाम पुरुष अरु नारी

समय सुहावनि गारि बिराजा

हँसत राउ सुनि सहित समाजा

(भोजन करते समय, स्त्रियाँ पुरुष और स्त्रियों के नाम ले ले कर मधुर ध्वनि से गालियाँ दे रही हैं; उस समय गालियाँ शोभा दे रही हैं और सारे समाज (बारातियों) के साथ राजा दशरथ हँस रहे हैं )

इससे पता लगता है कि इस प्रकार की प्रथाएं सैंकड़ों हज़ारों सालों से चली आ रही हैं I बाद में इस तरह के व्यंग्य और सवाल जवाब की प्रथा, वर-वधू दोनों पक्षों की ओर से होने लगी I

कुछ दशकों पहले तक रेडियो या टीवी, सीडी, इन्टरनेट से पहले इस तरह के लोकगीतों का आयोजन मनोरंजन का एक मुख्य माध्यम था | मगर अब इसमें बदलाव आ रहा है I

आज कल की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में अब शादी ब्याह जैसे समारोह भी कई दिन नहीं चल पाते हैं I इसकी वजह से भी कई प्रथाएँ अब कम मनाई जाती हैं I

दूसरी ओर अगर हम देखें तो, मॉरिशस और भारत के आलावा भोजपुरी भाषा और संगीत, भारतीय मूल के लोगों के साथ अनेक देशों में गया और अब भी जा रहा है |

आपको मालूम ही होगा कि फ़िजी, गयाना, त्रिनिदाद और टोबागो, सूरीनाम, जो देश मॉरिशस से लगभग १२,००० किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर या अटलांटिक महासागर में स्थित हैं ; या फिर साउथ अफ्रीका, या यूरोप में हॉलैंड, इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों और कॅरीबीयन देशों के ज़रिये अमरीका और कनाडा में भी भोजपुरी गीत सुनने को मिल सकते हैं |

हम सभी के लिए यह एक बहुत गौरव की बात है कि भोजपुरी गीत गवई को उनेस्को द्वारा सम्पूर्ण विश्व की धरोहरों में शामिल किया गया है |

पिछले साल बनारस में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर मॉरिशस के माननीय प्रधान मंत्री श्री प्रविंद कुमार जुगनाथ ने, जो उस अवसर पर मुख्य अतिथि थे, कुछ शब्द भोजपुरी में बोल कर वहां उपस्थित दुनिया भर से आये भारतीय मूल के लोगों और सभी गणमान्य व्यक्तियों का दिल जीत लिया था I

आज के तेज़ी से बदलते युग में जहाँ प्रति दिन अनेक नए अनुभव और प्रभाव सामने आते हैं और मनोरंजन के नए आकर्षण हैं, वहाँ युवापीढ़ी में, जिस पर पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति का आकर्षण बहुत तीव्र है, पारंपरिक गीत गवई और गमट जैसी शैलियों के प्रति रूचि बनाये रखना और सिखाना एक चुनौती जैसा लगता है |

मगर सही प्रयासों और आधुनिक टेक्नोलॉजी जैसे सोशल मीडिया – फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, व्हाट्स ऐप - आदि माध्यमों से इन शैलियों के बारे में, इनके इतिहास, इनकी परंपरा, इनके प्रमुख कलाकारों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी और उनके कार्यक्रमों को आकर्षित रूप में दूर दराज़ तक उपलब्ध कराया जा सकता है |

आज जहाँ मनोरंजन के अन्य माध्यम प्रचलित हैं वहीं भोजपुरी भाषा और गीत संगीत भी सिनेमा आदि के ज़रिये फिर से आगे आ रहे हैं I

यहाँ मॉरिशस में टेलीविज़न पर भोजपुरी चैनल होने से भी इस भाषा को काफ़ी बढ़ावा मिलता है I भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन भी अपने अथक प्रयासों से कई स्कूल चलाती है I

मैं माननीय मंत्री जी, मॉरिशस सरकार, डॉक्टर सरिता बूधू जी और भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन में उनके सहयोगियों को उनके उन सभी प्रयासों के लिए बधाई देता हूँ जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर के विभिन्न पहलुओं के बारे में विशेष ध्यान दे रहे हैं |

मुझे विश्वास है कि इनके प्रयासों को निरंतर सफलता मिलती रहेगी | और भाषा और संस्कृति दोनों पनपती रहेंगी I

अंत में मैं आप सभी को और आपके परिवारों को अपनी ओर से और भारतीय सरकार की ओर से अनेक शुभकामनाएं देना चाहता हूँ |

धन्यवाद



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